Chamba district is famous for maintaining old culture & Bharmaur / Bharmour is one of the major town in chamba with a number of Good old temples. Chaurasi temple is one of these temples in Bharmour.
Bharmour area was formally known as Brahmpura & was the ancient capital of District Chamba of Himachal Pradesh. This temple is located at appox 2141 mtrs above sea level.
भरमौर चौरासी परिसर (सिद्धो की तपोभूमि) - यह धार्मिक यात्रा का महत्वपूर्ण पड़ाव है। चम्बा से पहुंचकर श्रद्धालु चौरासी मंदिर परिसर में पूजा-अर्चना करते हैं। चम्बा से पवित्र छाड़ियाँ यात्रा की परम्परानुसार चलती हैं वे भी यहाँ दो रात्रि विश्राम करती हैं। मणिमहेश यात्रा का शुभारंभ इन्ही पवित्र छड़ियों से माना जाता है। इनमें श्री दशनाम अखाडा की पवित्र छड़ी, बाबा सिद्ध श्री चरपटनाथ जी की पवित्र छड़ी तथा निशान निर्धारित कार्यक्रमों के अनुसार चलते हैं।
श्री दशनाम अखाड़ा की पवित्र छड़ी सिद्ध श्री चरपटनाथ छड़ी के साथ श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर में मिल जाती है। दशनाम की छड़ी जुलुस में आगे रहती है और चरपट छड़ी पीछे चलती है। "भरमौर" का प्राचीन नाम ब्रहापुर रहा है। इसे चम्बा रियासत की पहली राजधानी होने का गौरव प्राप्त है। यह प्रसिद्ध धार्मिक केंद्र है। समुद्रतल से लगभग 2141 मीटर की ऊंचाई पर बसा भरमौर सुन्दर स्थल है।
इस मंदिर के समक्ष श्री मणिमहेश मंदिर है। दोनों मंदिरों के दरवाजे आमने-सामने हैं लेकिन मणिमहेश मंदिर एक बड़े चबूतरे पर निर्मित इस परिसर का सबसे विशाल शिखराकार मंदिर है। यह मंदिर मेरु वर्मन के शासनकाल का है। मणिमहेश यात्रा को जाते हुए श्रद्धालु इसी मंदिर में पूजा-अर्चना करते हैं। मंदिर के बाहर नदी की विशाल प्रतिमा है। जो दरवाजे की ओर मुख किये हैं। मंदिर के पीछे श्री लक्षणा देवी का मंदिर भी छठी शताब्दी में निर्मित है।
यह मंदिर ढलवां छत अर्थात नागर शैली में लकड़ी से बना है। गर्भगृह में महिषासुरमर्दिनि की कांस्य प्रतिमा स्थापित है। गर्भगृह के बाहर परिक्रमा पथ है जिसमें चारों तरफ लकड़ी पर विभिन्न देवी-देवताओं की प्रतिमाएं अंकित की गई हैं। मन्दिर के साथ इसी शैली में गणेश का एक अन्य पुरातन मंदिर भी है।
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